भारत के परमाणु सम्पन्न देश होने के मायने
परमाणु कार्यक्रम की आधारशिला
11 से 13 मई 1998 भारत का वो स्मरणीय पल जिसपर हर भारतीय को गर्व है जब भारत ने 1974 के बाद वास्तविक रूप से परमाणु सम्पन्न देश होने का दर्जा प्राप्त किया. हालाँकि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समक्ष कई विपरीत परिस्थिति था लेकिन इसके बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी परमाणु परीक्षण के लिए काफी उत्साहित थे, इसी का परिणाम था की मुख्य सचिव ब्रजेश मिश्र, परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष आर. चिदंबरम और ए. पी. जे. अब्दुल कलाम से परमाणु परीक्षण की स्थिति के बारे में विस्तृत चर्चा किया, परिणामस्वरूप परमाणु परीक्षण पर सहमति हुआ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम और चिदंबरम के द्वारा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आश्वस्त हो जाने के बाद परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत हुई, इसी दौरान परमाणु परीक्षण के बाद आने वाले अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बारे में भी विस्तृत चर्चा किया, कारण यह था की आर्थिक प्रतिबंध हो सकता था अमेरिका खाड़ी देशों से तेल आपूर्ति बंद करवा दे जैसी समस्या सामने था, लेकिन इसके बावजूद परमाणु कार्यक्रम में तेजी बना रहा और अटल सरकार को अधिक समय नहीं लगा परीक्षण करने में, चूँकि परीक्षण की आधारशिला कांग्रेस सरकार द्वारा निर्धारित किया जा चुका था, इसलिए परीक्षण में अधिक समय नहीं लगा. लेकिन उस समय अंतर्राष्ट्रीय समस्याएं यह था की परीक्षण के बाद अमेरिका भारत पर चारों तरफ से प्रतिबंध लगा सकता था इसके लिए भारत को तैयार रहना पड़ेगा. ब्रजेश मिश्र ने अटल जी को बताया की भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है जिससे की छह माह तक आने वाली समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है तब तक भारत कोई ठोस कदम उठा ही लेगा, लेकिन उसके बाद भारत की जो स्थिति विश्व पटल पर उभरेगा उसके सामने यह समस्या नगण्य है. किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे अहम मुद्दा होता है और खासकर भारत के लिए जिसके एक और चीन तो दूसरी और पाकिस्तान जैसे आतंकित देश हो. भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से परमाणु शक्ति सम्पन्न होना देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. अटल बिहारी वाजपेयी का सीधापन ही उसे अटल बनाता था जिससे की वह आसानी से कोई भी निर्णय ले सकता था, किसी भी समस्या से निपटने में उन्हें महारत हासिल था. अटल बिहारी वाजपेयी कहते थे की ‘’हमें रक्षा में आत्मनिर्भर होना है हम अपनी रक्षा को दूसरों के भरोसे नहीं छोड़ सकते की वह आयेगा और हमारी मदद करेगा.’’ 1998 में परीक्षण के बाद विरोधियों ने अटल जी पर निशाना साधते हुए कहा था की देश को विनाशकारी परमाणु संघर्ष के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. तत्कालीन परिस्थिति यह था की परमाणु हथियार ही किसी देश की ताकत और क्षमता का प्रतीक माना जाता था और इस स्थिति को अटल जी भलीभांति समझते थे. भारत पहले ही आश्वस्त कर चुका था की “भारत की परमाणु कार्यक्रम शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए है, भारत की परमाणु नीति “नो फ़र्स्ट यूज़” पर आधारित है, भारत किसी भी देश पर पहला परमाणु आक्रमण नहीं करेगा, भारत की परमाणु उर्जा शांतिपूर्ण है.” भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है क्योंकि भारत इस संधि को भेदभाव पूर्ण संधि मानता है लेकिन फिर भी भारत परमाणु अप्रसार संधि का समर्थन करता है. भारत मानता है की परमाणु हथियारों में कमी होना चाहिए और इसके प्रसार को रोका जाना चाहिए. भारत परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल का समर्थन करता है. भारत, पाकिस्तान और इजरायल ने अभी तक परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है लेकिन माना जाता है की इन सबों के पास परमाणु हथियार है और वर्तमान में उतर कोरिया ने भी परमाणु परीक्षण कर लिया है.
परमाणु हथियारों से सुरक्षा और बचाव
जब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में सुरक्षा को महत्वपूर्ण माना जाता है ऐसे समय में परमाणु हथियार को सुरक्षा की दृष्टि से सही भी माना जाता है और गलत भी. भारत के परिप्रेक्ष्य में यह कहा जाता है की भारत ने परमाणु परीक्षण करके क्या पाया और क्या खोया, तो यहाँ पर यह सूचित करना जरूरी है की भारत ने परीक्षण के बाद कुछ खोया नहीं है बल्कि पाया है. परीक्षण के बाद भारत की स्थिति अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में ताक़तवर देश के रूप में उभर कर सामने आया है जो अपने पड़ोसी देशों और सहयोगियों के पक्ष में स्वतंत्र निर्णय ले सकता है. इससे भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुआ है, व्यापार में वृद्धि हुआ है, आर्थिक विकास तेजी से हुआ है और भारत को अब सभी देश अपना बाजार के रूप में देखने लगा है कारण यह है की भारत सुरक्षा की दृष्टि से शक्ति सम्पन्न है. वर्तमान समय में भारत दक्षिण एशिया का उभरता हुआ देश है तो उसका कारण है- सुरक्षा और भारत की अन्य देशों के साथ स्वतंत्र नीति, भारत अब सुरक्षा की दृष्टि से नयी मुकाम हासिल कर चुका है.
भारत एक उभरता हुआ महाशक्ति
आतंकवाद के जन्म दाता पाकिस्तान जो की पहले लगातार भारत को आँख दिखाते रहता था अब उन्हें हमेशा मुंह की खानी पड़ती है. वर्तमान समय का भारत एक ऐसा देश है जो सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहता है पिछले कुछ घटनाओं पर जिक्र किया जाये तो दो सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सभी देश का यूँ शांत रहना इस बात का संकेत देता है की भारत के आतंकवाद से निपटने की रणनीति पर कोई सवाल नहीं उठा सकता, क्योंकि ये नया भारत है जो जवाब देना अच्छे से जानता है और खासकर अपनी सुरक्षा के बारे में, केंद्र में मजबूत सरकार होने के कारण ही सरकार द्वारा सुरक्षा के अहम मुद्दों पर बेबाकी से निर्णय लिया जाता है. वर्तमान समय में भारत किसी भी परिस्तिथि से निपटने के लिए तैयार है. पिछले कुछ दिनों से कश्मीर घाटी अगर शांत है तो उसका कारण है पड़ोसी देश पर किया गया सर्जिकल स्ट्राइक, आतंकवाद प्रायोजित देश पाकिस्तान का यह डर हमेशा बना हुआ रहता है की कभी भी भारत अब चुप नहीं बैठ सकता है और भारत के अपने निर्णय लेने पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का चुप रहना, भारत की क्षमता और ताकत को दर्शाता है. इसका कारण है भारत के पूर्ववर्ती सरकारों ने वो आधारशिला रख दिया है की अब भारत अपनी स्वतंत्र नीति किसी भी अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बिना ले सकता है, क्योंकि भारत अब हर समस्या से निपटने के लिए तैयार है भारत हथियारों से परिपूर्ण है. इन्हें अब किसी भी देश के सामने हाथ फ़ैलाने की जरुरत नहीं है बिना अंतर्राष्ट्रीय मदद के भी भारत अपनी सुरक्षा स्वंय कर सकता है. भारत ने परमाणु परीक्षण कर आने वाली पीढ़ियों को एक मजबूत और स्वतंत्र देश के रूप में अपने आप को प्रतिष्ठित किया है. 21 सालों के बाद भारत की स्थिति आज क्या है इस बात पर गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है उन वैज्ञानिकों को याद करने का समय है जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी परीक्षण को पूर्ण किया. मई जैसी गर्मी और वो भी राजस्थान के पोखरण की कठिन परिस्थितियों में भी भारत ने वो मुकाम हासिल किया है जो अतुलनीय है. अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बावजूद भारत ने परमाणु परीक्षण किया, तकनीकी की कमी के बावजूद यह मुकाम हासिल किया है. इसका श्रेय जाता है तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी को, उनके जज्बों को, जिन्होंने भारत की मजबूत आधारशिला रखा.